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गोरैया बचाओ अभियान: महावीर इंटरनेशनल सुमेरपुर-शिवगंज ने शुरू की पर्यावरण सुरक्षा की अनूठी पहल

प्रधान संपादक रूपचंद मेवाड़ा सुमेरपुर

गोरैया बचाओ अभियान: महावीर इंटरनेशनल सुमेरपुर-शिवगंज ने शुरू की पर्यावरण सुरक्षा की अनूठी पहल

सुमेरपुर/शिवगंज: महावीर इंटरनेशनल की नवीन कार्यकारिणी गठित होते ही

संस्था सदस्यों ने अपने कार्य की प्रथम शुरुआत गौरैया बचाओ अभियान से शुरू की

पर्यावरण संतुलन और जैव विविधता की रक्षा के लिए महावीर इंटरनेशनल सुमेरपुर-शिवगंज द्वारा एक सराहनीय पहल की गई है। संस्था ने गौरैया घर एवं पानी के परिंडे लगाने का अभियान शुरू किया, जिसकी शुरुआत स्वयं संस्था के अध्यक्ष सीए पंकज जैन के निवास स्थान से की गई।

गौरैया, जो कभी हर घर की पहचान हुआ करती थी, आज शहरीकरण, कीटनाशकों और प्राकृतिक आवास की कमी के चलते धीरे-धीरे हमारी आंखों से ओझल होती जा रही है। इस संकट को समझते हुए *दीपक गोयल ने बताया कि* महावीर इंटरनेशनल ने यह अभियान शुरू किया है, जिसका उद्देश्य न सिर्फ गौरैया को बचाना है, बल्कि समाज को स्वस्थ पर्यावरण और प्रकृति के संरक्षण की ओर प्रेरित करना भी है।

कोषाध्यक्ष सुरेन्द्र जी अग्रवाल ने अभियान के उद्देश्य बताए

शहर एवं गांवों में गौरैया घर (नेस्ट बॉक्स) और पानी के परिंदे लगाना

लोगों को गौरैया और अन्य पक्षियों के संरक्षण के प्रति जागरूक करना

बच्चों और युवाओं में प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाना

घरों, स्कूलों और सार्वजनिक स्थानों पर पक्षियों के लिए सुरक्षित स्थान उपलब्ध कराना

> “गौरैया को बचाना, अपने भविष्य को बचाना है।” – सीए मुकेश परमार

इस अवसर पर संस्था के सचिव मुकेश परमार, कोषाध्यक्ष सुरेंद्र अग्रवाल, माधव दत्त दवे, दीपक गोयल,सीए चेतन अरोड़ा, सीए कुलदीप शर्मा, पर्यावरण प्रेमी ओमप्रकाश कुमावत, रमेश कुमार, प्रवीण माली, रोहित, योगेश, स्वाति अग्रवाल, शालू गोयल, पुजा घोड़ावत सहित अनेक सदस्य उपस्थित रहे और उन्होंने इस पुनीत कार्य में अपनी सहभागिता निभाई।

ईश अवसर पर सी ए चेतन अरोड़ा ने बताया कि अपने घर की खिड़की या बालकनी में गौरैया घर लगाएं

हर सुबह पक्षियों के लिए पानी और दाना रखें

अपने बच्चों को पक्षियों के महत्व के बारे में बताएं

पेड़ लगाएं, कीटनाशकों का कम उपयोग करें

अध्यक्ष सी ए पंकज जैन ने कहा कि यह अभियान एक छोटी पहल जरूर है, लेकिन बड़े बदलाव की ओर पहला कदम है। आइए, हम सब मिलकर इस प्रयास का हिस्सा बनें और अपने पर्यावरण को फिर से चहकती गौरैयाओं से भर दें।

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