पदोन्नत व्याख्याताओं व प्रधानाचार्यों को पदोन्नति परित्याग फोरगो के अवसर दिये जाने की मांग
प्रधान संपादक रूपचंद मेवाड़ा सुमेरपुर

रूपचंद मेवाड़ा की रिपोर्ट
पदोन्नत व्याख्याताओं व प्रधानाचार्यों को पदोन्नति परित्याग फोरगो के अवसर दिये जाने की मांग
राजस्थान शिक्षक संघ राधाकृष्णन् के प्रदेश प्रवक्ता प्रकाश मेवाड़ा मुंडारा ने बताया की व्याख्याता व प्रधानाचार्य पदोन्नति पदस्थापन सूची जारी होने के उपरांत पदोन्नति परित्याग फोरगो के अवसर पदोन्नत शिक्षकों को प्रदान किए जाने की मांग की हैं। कल विभिन्न विषय के व्याख्याता के पदोन्नति पदस्थापन व प्रधानाचार्य पदोन्नति पदस्थापन की सूचीयां जारी की गई है।
राज्य से अनेकों शिक्षक शिक्षिकाओं के संगठन को संदेश प्राप्त हुए हैं कि वे पदोन्नति परित्याग करना चाहते हैं परंतु इस हेतु उक्त आदेशों में प्रावधान नहीं किया गया है जिससे उन्हें परेशानी हो रही ।
इस संदर्भ में संगठन का निवेदन है कि
पदोन्नति किसी भी कर्मचारी को उसके उच्च पद एवं आर्थिक लाभ दिए जाने हेतु एक निश्चित विभागीय प्रक्रिया है। वह कर्मचारी उच्च पद अथवा उच्च वेतन प्राप्त करना चाहता है या नहीं यह सदैव से उसकी इच्छा पर रखा गया है। ऐसे में पदोन्नति परित्याग का अधिकार कर्मचारियों को सुरक्षित अधिकार के रूप में दिया जाना चाहिए जो इन आदेशों में उससे छीनता हुआ प्रतीत हो रहा है । संघ के प्रदेश अध्यक्ष विजय सोनी अजमेर ने बताया कि
सूचियां में अनेकों शिक्षक शिक्षिकाएं ऐसे हैं जो गंभीर रोगी है,दिव्यांग है,वृद्ध है या जिनकी पारिवारिक स्थिति वर्तमान पदस्थापन से बहुत अधिक दूर जाने की नहीं है। ऐसे में वह अपनी पदोन्नति स्वैच्छिक रूप से परित्याग करना चाहते हैं। इस हेतु उन्हें विभाग के पूर्व प्रचलित नियमानुसार पदोन्नति परित्याग का अवसर दिया जाना उचित रहेगा।
संगठन के संज्ञान में ऐसे प्रकरण भी हैं जिसमें पदोन्नत व्याख्याता की सेवानिवृत्ति 30 अप्रैल 2025 ही है..जो की व्याख्याता पद पर कार्यग्रहण करने की भी अंतिम तिथि रखी गई है।
ऐसे में यह सर्वविदित है कि सेवानिवृत्ति से पूर्व माह में ही पेंशन प्रकरण, जीपीएफ, एस आई आदि अंतिम भुगतान हेतु कार्य प्रारम्भ हो जाते हैं। ऐसे में मात्र एक दिवस के लिए पदोन्नति स्थान पर कार्यग्रहण किया जाना उस कर्मचारी के लिए अत्यंत कष्टदायक होने के साथ साथ उसके पेंशन व अन्य प्रकरणों में अनावश्यक परेशानी व विलंब होने का कारक बनेगा जो की कदापि न्याय संगत नहीं कहा जा सकता। पदोन्नति हेतु जो रिक्त पद प्रदर्शित किए गए थे उनमें उस जिले व विषय के पद पदोन्नत होने वाले शिक्षक शिक्षिकाओं के वर्तमान पदस्थापन स्थान के नजदीक होने के बावजूद उन्हें प्रदर्शित नहीं किया गया जिससे अनेक विधवा, परित्यक्ता, दिव्यांग,असाध्य रोगी, सेवानिवृत्ति के अत्यंत निकट व्यक्ति को भी अत्यंत दूर स्थान पर पदस्थापन दिया गया है।इससे उन शिक्षक साथियों को तो अत्यंत पीड़ा हो ही रही है साथ साथ उनका पूरा परिवार व शिक्षा विभाग का प्रत्येक कार्मिक इस नियम अगर एक कर्मचारी अपनी पदोन्नति का परित्याग करता है तो राजस्थान सरकार के प्रचलित नियमानुसार उसे भविष्य में होने वाली एक पदोन्नति में अवसर नहीं दिया जाता साथ ही आर्थिक लाभ एसीपी/एमएसीपी में भी उसे कुछ वर्षों के लिए पीछे रख दिया जाता है,इससे स्पष्ट है कि जो शिक्षक पदोन्नति का परित्याग करता है वह उच्च पद व उच्च वेतन का नुकसान वहन करने की स्वैच्छिक स्वीकृति विभाग को देता है। ऐसे में पदोन्नति परित्याग का अवसर नहीं दिया जाना एक कर्मचारी के अधिकार पर अनावश्यक प्रतिबंध लगाना है। संगठन का मत है कि कल जारी हुई विभिन्न विषयों के व्याख्याता की पदस्थापन सूची व प्रधानाचार्य के पदस्थापन की सूची में दिए गए निर्देशों में भी भिन्नता है जहां व्याख्याता को अनिवार्य रूप से अगर उन्होंने यथास्थान पूर्व में कार्यग्रहण कर लिया था तो अनिवार्य कार्य मुक्त करने का निर्देश दिया गया है परंतु प्रधानाचार्य पदस्थापन सूची में इस प्रकार का कहीं निर्देश अंकित नहीं है।
संगठन एक ओर महत्वपूर्ण विषय पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता है कि आज जारी हुई पदस्थापन सूचियों में *उन शिक्षक/शिक्षिकाओं के नाम भी सम्मिलित हैं जिन्होंने पूर्व में यथा स्थान पदोन्नति पर कार्यग्रहण नहीं किया था।
ऐसे में आज जारी हुए आदेशों में यह भी अंकित किया गया है कि जिन्होंने पूर्व में यथा स्थान कार्यग्रहण नहीं किया वह पदोन्नति का परित्याग कर सकते हैं अर्थात जिस व्यक्ति ने पूर्व में यथा स्थान पदोन्नति पर कार्यग्रहण नहीं किया उसे अब पदस्थापन स्थान पसंद ना आने पर भी पदोन्नति परित्याग का अवसर दिया जा रहा है । अर्थात दो बार अवसर दिया जा रहा है। संगठन का मत है कि अगर जिस शिक्षक साथी ने पूर्व में यथा स्थान पदोन्नति पर पद ग्रहण नहीं किया तो उन्हें आज जारी हुई सूचियां में सम्मिलित ही नही किया जाना चाहिए था* उन्हें सम्मिलित क्यों कर किया गया, संगठन आपका ध्यान एक ओर विसंगति की और आकृष्ट करना चाहता है कि
व्याख्याता पदोन्नति आदेश में दिव्यांग श्रेणी के सभी पदोन्नत शिक्षकों को पुनः मेडिकल बोर्ड से प्रमाण पत्र लेने हेतु निर्देशित किया गया है,इसके उलट प्रधानाचार्य पदोन्नति आदेशों में जिनकी नियुक्ति दिव्यांग श्रेणी में हुई है उन्हें प्रमाण पत्र नही लेने की छूट दी गई है । महोदय संगठन आपसे आग्रह करता है कि व्याख्याता व प्रधानाचार्य दोनों वर्गों में जिनकी नियुक्ति दिव्यांग श्रेणी से हुई है उन्हें पुनः प्रमाण पत्र लेने की बाध्यता से मुक्त किया जाए।
संगठन का आग्रह है कि इन विसंगतियों को दूर करते हुए सभी पदोन्नत शिक्षक शिक्षिकाओं को पदोन्नति परित्याग का सहज सरल सुलभ अवसर उपलब्ध कराया जाना चाहिए* जिससे शिक्षक को उसके अधिकार प्रदत सुविधा का लाभ मिल सके।
संगठन को विश्वास है कि उक्त विषयों पर आप गंभीरता से विचार कर राज्य के शिक्षकों को राहत प्रदान करेंगे।