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दान में सबसे ज्यादा महत्व आहार दान का है 

प्रधान संपादक रूपचंद मेवाड़ा सुमेरपुर

हिम्मत देवड़ा  फालना की रिपोर्ट

दान में सबसे ज्यादा महत्व आहार दान का है 

जवाली।सनावद नगर में 15 दिनों से धर्म की गंगा प्रवाह कर रहे मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज बड़े मंदिर जी में प्रतिदिन अपनी वाणी का रस पान करवा रहे है आज प्रातः की बेला में सभा की शुरुआत भगवान महावीर स्वामी के चित्र के समकक्ष ऊषा लाठियां अविनाश जैन निधि जैन के द्वारा दीप प्रज्वलित कर के की गई। मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज ने

छह ढाला के छठे सूत्र का वर्णन करते हुवे उसकी धर्म प्रभावना को समझाया कहा जैन धर्म में दान का बहुत महत्व है और दान में सबसे ज्यादा महत्व आहार दान का है जो श्रावक अपने घर पर परिवार सहित साधु-संतों को आहार दान देता है। उसका मानव जीवन सफल हो जाता है। आहार दान देने वाला व्यक्ति कभी दुखी और भूखा नहीं रह सकता है। इसलिए आप सभी अपनी सामर्थ्य के अनुसार साधु-संतों को आहार दान अवश्य करें। श्रावक के लिए आहार दान सबसे श्रेष्ठ दान है। आहार दान में अद्भुत आनंद की प्राप्ति होती है, मन एकाग्र होता है, जब से चौका लगाने का भाव करते हैं तब से पुण्य बंध प्रारंभ हो जाता है। चौके में सुबह से लेकर जब तक आहार देते हैं तब तक 5 6 घंटे तक धर्म ध्यान होता रहता है। अन्य धार्मिक क्रियाएं इतने समय तक नहीं कर पाते हैं पूजन, अभिषेक, विधान आदि एक-दो घंटे स्वाध्याय भी एक-दो घंटे ही लगातार कर सकते हैं अतः आहार दान में सबसे अधिक धर्म ध्यान होता है। भावों में विशुद्धि रहती है कहीं चौके में लापरवाही ना हो जाए जिससे साधुओं का अंतराय हो सकता है अतः सावधानी पूर्वक हर कार्य किया जाता है।

आज मुनिश्री को आहार दान देने का सौभाग्य कुसुम कुमार पंचोलिया काका परिवार को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर सा ही समाजजन उपस्थित थे।

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