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शास्त्रों के अनुसार दीपावली 31तारीख को मनाई जाएगी पंडित दयाशंकर शास्त्री

प्रधान संपादक रूपचंद मेवाड़ा सुमेरपुर

. दीपावली_कब_मनाएं :

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 31 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 52 मिनट से शुरू होगी और 01 नवम्बर को संध्याकाल 06 बजकर 16 मिनट पर समाप्त हो जायेगी ! ऐसे में चूंकि 1 नवम्बर को दीपावली की पूजा के समय अमावस्या तिथि रहेगी ही नहीं तो पूजा कैसे की जा सकती है ? अतः 31 अक्टूबर को दिवाली मनाई जाएगी !

दीपावली अमावस्या की रात्रि में मनाई जाती है ! जब 1 नवम्बर को रात्रि में अमावस्या रहेगी ही नहीं तब दीपावली कैसे मना सकते हैं ??

कुछ पर्व दिन में मनाये जाते हैं उनके लिए दिन में तिथि का होना आवश्यक है ! कुछ पर्व रात्रि में मनाये जाते हैं उनके लिए रात्रि में तिथि रहना आवश्यक है ! इतनी सामान्य सी बात पर भी विवाद हो रहा है !

तिथि मुहूर्त आदि की गणना स्थानीय समयानुसार होती है ! जन्मकुण्डली आदि में भी स्थानीय समय ही मान्य होता ! सभी स्थानों पर स्टैंडर्ड समय और स्थानीय समय में अंतर होता है ! अतः भारत में और वह भी विशेष शहरों में स्थानीय समय अलग अलग होता है ! प्रति एक देशान्तर पर चार मिनट का अंतर आता है। कलकत्ता में आज सूर्योदय 5-36 पर हुआ,सूरत में आज सूर्योदय 6-37 पर हुआ ! अर्थात एक देश में ही स्थानीय समय में एक घंटे छह मिनट का अंतर है ! भारत में अमावस्या 31 नवम्बर को है वह एक नवंबर को अमेरिका में होगी ! तो क्या अमेरिका के शुभ के लिए हमें एक नवम्बर को दीपावली मनानी चाहिए ? जबकि एक नवंबर की रात्रि में भारत में अमावस्या नहीं रहेगी ! बिना अमावस्या के भी दीपावली मनाने लगें ?

नवबौद्धिकों के झांसें में न आयें ! दीपावली 31 नवम्बर को ही मनायें। सनातन के त्यौहारों पर जानबूझकर डीपस्टेट के एजेंट विवाद उत्पन्न करते हैं ! पृथ्वी पर घटने वाली घटनाओं की गणना स्थानीय समयानुसार ही करी जाती है ! किसी की जन्म कुण्डली अंतरिक्ष के समय के अनुसार नहीं बनाई जाती ! क्योंकि जातक पृथ्वी पर जन्म लेता है अंतरिक्ष में नहीं ! अतः नासा की गणना के नाम पर फैलाये जा रहे प्रोपगंडा से बचें !

*1 नवम्बर को दीपावली मनाई तो हो जाएगा अनर्थ !*

दैवज्ञ काशीनाथ भट्टाचार्य के प्रसिद्ध ग्रन्थ शीघ्रबोध में दीपावली को लेकर सीधी सीधी बात लिखी है, पता नहीं अब तक इसपर किसी ने ध्यान क्यों नहीं दिया ? शीघ्र बोध में साफ लिखा है :–

दीपोत्सवस्य वेलायां प्रतिपद् दृश्यते यदि !!*

*सा तिथिर्विबुधैस्त्याज्या यथा नारी रजस्वला !!*

दीपोत्सव के समय यदि प्रतिपदा दिख जाए तो उस दूषित तिथि को *रजस्वला की भाँति त्याग कर देना चाहिए !*

*आषाढ़ी श्रावणी वैत्र फाल्गुनी दीपमालिका !*

*नन्दा विद्धा न कर्तव्या कृते धान्यक्षयो भवेत् !!*

आषाढ़ी पूर्णिमा, रक्षाबंधन, होली और दीपावली को कभी भी नन्दा यानि प्रतिपदा से विद्ध नहीं करना चाहिए वरना धन धान्य का क्षय होता है !

आज जयपुर के एक गाँव फागी से एक वृद्ध पण्डितजी श्री दयाशंकर शास्त्री जी ने एक 100 साल पुरानी पुस्तक से निकालकर ये श्लोक भेजे और कहा, कि 31 अक्टूबर को दीपावली मनवाकर धर्मसभा ने करोड़ों लोगों को बचा लिया ! क्योंकि 1 को प्रतिपदा विद्धा दूषित अमावस्या में दीपावली करना बिल्कुल भी ठीक नहीं है ! *31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाएं और अपने धर्म की रक्षा करें !*

इसके अतिरिक्त श्री स्कंद पुराण के द्वितीय भाग वैष्णव खंडम् के कार्तिक मास महात्म्य के दसवें अध्याय “कार्तिक दीपावली कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा महात्म्य” नामक अध्याय के श्लोक क्रमांक 10 और 11 में भगवान श्री ब्रह्माजी ने स्पष्ट कह दिया…👇

“माङ्गल्यंतद्दिनेचेत्स्याद्वित्तादितस्यनश्यति !

बलेश्चप्रतिपद्दर्शाद्यदिविद्धं भविष्यति !!”

अर्थात –

अमावस्या विद्ध बलि प्रतिपदा तिथि में मोहवशात् माङ्गल्य कार्य हेतु अनुष्ठान करने से सारा धन नष्ट हो जाता है !”

1 नवम्बर को ऐसी ही धन हानि करने वाली स्थिति बन रही है, जिससे पूरा समाज संकट में पड़ सकता है ! इसलिए भूलकर भी 1 नवम्बर को दीपावली न मनाए ! ◆ 1 नवंबर को बिना कर्मकाल के दीपावली मनाने के दुष्परिणाम –

व्रतराज में कहा है –

 

न कुर्वन्ति नरा इत्थं लक्ष्म्या ये सुखसुप्तिकाम् !

धनचिन्ताविहीनास्ते कथं रात्रौ स्वपन्ति हि !!

तस्मात्सर्वप्रयत्नेन लक्ष्मीं सुस्वापयेन्नरः!

दुःखदारिद्यानिर्मुक्तः स्वजातौ स्यात् प्रतिष्ठितः !!

ये वैष्णवावैष्णवा या बलिराज्योत्सवं नराः!

न कुर्वन्ति वृथा तेषां धर्माः स्युर्नात्र संशयः !!

उस सुखसुप्तिका में जो लक्ष्मी के लिए कमलों की शय्या बनाकर पूजते नहीं, वे पुरुष कभी रात्रि में धन की चिन्ता के बिना नहीं सोते ! इसलिए सब तरह से कोशिश कर लक्ष्मीजी को सुखशय्या पर शयन कराएं, जो ऐसा करता है, वह दुःख दारिद्र्य से छूटकर अपनी जाति में प्रतिष्ठित हो जाता है ! जो वैष्णव या अवैष्णव बलिराज्य का उत्सव नहीं मनाते, उनके किए हुए सब धर्म व्यर्थ हो जाते हैं, इसमें संदेह नहीं है !

ऊपर स्पष्ट किया जा चुका है कि 31 अक्तूबर की रात्रि को ही सुखसुप्तिका और बलिराज्य का उत्सव दीपावली है, तब 1 नवंबर की रात्रि में प्रतिपदा में यह सब शास्त्रोक्त कर्म करने का फल कैसे मिल सकता है ?

अतः 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाने हेतु शुभ मुहूर्त वाला दिन है !

*🕉🔱🕉🔱🕉🔱🕉 🔱🕉 *विख्यात ज्योतिष आचार्य पांडुरंगराव शास्त्री कुंडली मीलान* *अंक शास्त्र रत्न सुझाव वास्तुशास्त्र कालसर्प मंगल दोष वैदिक अनुष्ठान व*समस्त धार्मिक मुहूर्त* *कार्यो के लिए संपर्क करें** *मो: 9321113407* *Email- pigweshastri@gmail.com* 🙏*Mumbai*🙏**

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