केंद्र सरकार द्वारा आठवें वेतन आयोग के लाभ से पेंशनर्स को वंचित रखा जाने के निर्णय का विरोध:-
प्रधान संपादक रूपचंद मेवाड़ा सुमेरपुर

रूपचंद मेवाड़ा प्रधान संपादक की रिपोर्ट
केंद्र सरकार द्वारा आठवें वेतन आयोग के लाभ से पेंशनर्स को वंचित रखा जाने के निर्णय का विरोध:-
पाली 9 अप्रैल। केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम में संशोधन का विधेयक पारित कराया है जिसमें पेंशनर्स को वेतन आयोग के लाभों से वंचित करने के उद्देश्य से दो वर्गों में बांटे जाने पर राजस्थान पेंशनर समाज केंद्र सरकार का विरोध करता हैं। राजस्थान पेंशनर समाज जिला शाखा पाली के क्षेत्रीय प्रभारी दिनेश दवे ने बताया कि बुधवार को जिलाध्यक्ष सोहनलाल जोशी के नेतृत्व में जिला कलेक्टर के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार एवं माननीय वित्त मंत्री भारत सरकार को पेंशनर्स के हितों पर कुठाराघात से संबंधित सीसीए(पेंशन) नियम संशोधन विधेयक 2025 को वापस लेने के संबंध में ज्ञापन सौपा है। ज्ञापन में जिलाध्यक्ष जोशी ने बताया कि भारत सरकार ने संसद की मंजूरी के लिए वित्त विधेयक पेश करते समय भारत की संचित निधि से पेंशन देनदारियों पर व्यय के लिए केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियमों और सिद्धांतों की मान्यता के लिए एक अध्याय शामिल किया है ।इसके माध्यम से सरकार को पेंशनभोगियों के बीच अंतर स्थापित करने का अधिकार मिल गया है। जो केंद्रीय वेतन आयोग की स्वीकृत सिफारिशो पर लागू हो सकता है और विशेष रूप से पेंशनभोगी की सेवा निवृत्ति की तारीख या केंद्रीय वेतन आयोग की स्वीकृत सिफारिश के संचालन की तारीख के आधार पर अंतर किया जा सकता है ।उक्त विधेयक के माध्यम से केंद्र सरकार ने पेंशनर्स को आठवें वेतन आयोग के लाभ से वंचित करने व पेंशनरों का तिथि के आधार पर वर्गों में बांटकर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन किया है साथ ही डी.एस. नकारा मामले में दिनांक 17 दिसम्बर, 1982 के माननीय सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ के ऐतिहासिक निर्णय को चुनौती दी है। सचिव शिवराम प्रजापत ने बताया कि राजस्थान पेंशनर समाज इस हिटलरशाही वित्त विधेयक का घोर विरोध करता है, क्योंकि 7 वीं सीपीसी जिसे 01.01.2016 से पहले और 01.01. 2016 के बाद सेवानिवृत पेंशनभोगियों के बीच समानता बनाए रखने के लिए सरकार द्वारा स्वीकार किया गया था । यह विधेयक इस प्रकार की समानता को खत्म कर देता है। इसके अलावा जब से आठवीं सीपीसी की घोषणा की गई है , देश भर के पेंशनभोगी अपने पेंशन संशोधन और 01.01. 2026 से पहले सेवानिवृत हुए पेंशनभोगियों और 01.01.2026 (आठवीं सीपीसी की सिफारिशो की अपेक्षित तिथि) के बाद सेवानिवृत होने वाले पेंशनभोगियों के बीच समानता बनाए रखने के बारे में चिंतित है। वर्तमान निर्णय पेंशनभोगियों पर एक बड़ा झटका है और इसलिए सरकार को इस पर पुनर्विचार करने और इसे वापस लेने की आवश्यकता है । संयुक्त सचिव कमल प्रकाश शर्मा ने बताया कि आज पाली जिले की सभी उपशाखाओं ने भी संबंधित उपखंड अधिकारी को ज्ञापन सोपे हैं। शर्मा ने बताया कि सरकार ने यदि इस विधेयक में पेंशनरों पर कुठाराघात संबंधी बिंदु नहीं हटाए तो राजस्थान पेंशनर समाज को पूरे प्रदेश में आंदोलनात्मक रूख अपनाने को मजबूर होना पड़ेगा।
आज ज्ञापन के समय जिलाध्यक्ष सोहनलाल जोशी ,सचिव शिवराम प्रजापत ,कोषाध्यक्ष इंद्रप्रकाश जांगिड़ ,संयुक्त सचिव कमल प्रकाश शर्मा ,संगठन मंत्री दलपतमल सिंघवी, राजेश कुमार शर्मा, सज्जन सिंह बोराणा ,विष्णु प्रसाद गोयल,विशनमल भंडारी, राजू सिंह, धनसिंह बडगूजर आदि पेंशनर्स मौजूद रहे।….