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तालुका विधिक सेवा समिति पिंडवाड़ा में राष्ट्रीय लोक अदालत का हुआ आयोजन

प्रधान संपादक रूपचंद मेवाड़ा सुमेरपुर

माननीय राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर एवं श्रीमान् अध्यक्ष महोदय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सिरोही श्रीमती रुपा गुप्ता जिला एवं सेशन न्यायाधीश महोदय, सिरोही के निर्देशानुसार आज दिनांक 08.03.2025 को अध्यक्ष, तालुका विधिक सेवा समिति, पिण्डवाडा ममता मेनारिया की अध्यक्षता में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन न्यायालय परिसर में किया गया। इस लोक अदालत में बंेच संख्या 01 की अध्यक्ष सुश्री ममता मेनारिया, अपर जिला एवं सेशन न्यायालय, पिण्डवाडा के न्यायालय में से 25 प्रकरणों का निस्तारण किया एवं रुपये 41,90,000/- का अवार्ड पारित किया गया। प्रि-लिटिगेशन के प्रकरणों मे से कुल 19 प्रकरणो का निस्तारण किया गया एवं रुपये 3,39,284/-का अवार्ड पारित किया गया एवं बंेच संख्या 02 के अध्यक्ष श्री अक्षत वर्मा, न्यायाधिकारी द्वारा न्यायिक मजिस्टेªट पिण्डवाडा के न्यायालय द्वारा कुल 99 प्रकरणो का निस्तारण किया गया एवं रुपये 7,26,165/-का अवार्ड पारित किया गया व न्यायाधिकारी, ग्राम न्यायालय पिण्डवाडा में लंबित प्रकरणों मे से कुल 17 प्रकरणो का निस्तारण किया गया। इस प्रकार इस तालुका द्वारा कुल 160 प्रकरणों का निस्तारण किया जाकर 52,55,449/-रुपये का अवार्ड पारित किया गया। इस लोक अदालत में सदस्य लोक अदालत/अधिवक्तागण धर्मवीर आढा एवं दिनेश सिंह बारड व बार एसोशियशन के अध्यक्ष अल्पेश ओझा एवं सदस्यगण, तालुका सचिव लक्ष्मण कुमार, न्यायिककर्मी रीडर पीराराम देवासी, वीरेन्द्र चौहान, महेश कुमार (फौजदारी लिपिक), रीडर अश्विन ओझा, सागर गहलोत, ललित सेन एवं राजस्वकर्मी उपस्थित रहे।

दिनांक 08 मार्च को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में बेंच संख्या 02 द्वारा पक्षकारों की आपसी समझाईश कर एक पारिवारिक विवाद का सौहार्दपूर्ण निस्तारण किया गया। ग्राम न्यायालय पिंडवाड़ा में विचाराधीन जया सुथार बनाम भरत कुमार में प्रार्थिया जया द्वारा घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 के अंतर्गत एक प्रार्थना पत्र न्यायालय के समक्ष पेश कर अप्रार्थी भरत कुमार व उसके परिवार के विरुद्ध विभिन्न प्रकार का अनुतोष चाहा था। प्रकरण में पति-पत्नी के बीच आपसी मन-मुटाव और गलतफहमियों के कारण दोनों अलग अलग निवास कर रहे थे। न्यायाधिकारी श्री अक्षत वर्मा की बैंच ने दोनों पक्षकारों की समझाईश कर उनके मध्य आपसी सहमति से उनके बीच का विवाद दूर करवाया, जिसके बाद दोनों ने न्यायालय कक्ष में एक दूसरे को माला पहना कर नवजीवन की शुरुआत की। यह प्रकरण अन्य पक्षकारों के लिए एक उदाहरण है कि लोक अदालत आपसी विवाद को सौहार्दपूर्ण तरीके से हल कर विवाद का अंतिम निस्तारण करने में निरंतर प्रयासरत है। समझाइश के दौरान पक्षकारों के परिवारजन एवं उनके अधिवक्ता श्री दिनेश अग्रवाल व श्री नितिन अग्रवाल भी उपस्थित रहे।

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