सन्त महात्माओं की पावन निश्रा में सन्त मनसुख हीरापुरीजी महाराज का जीवन्त भंडारा कार्यक्रम हुआ सम्पन्न
प्रधान संपादक रूपचंद मेवाड़ा सुमेरपुर

नटवर मेवाड़ा सांडेराव की रिपोर्ट
*संत-महात्माओं की पावन निश्रा में संत मनसुख हिरापुरीजी महाराज का जीवंत भण्डारा कार्यक्रम संपन्न, दूर-दूर से बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालु भक्तगण*
शांति पाठ,हवन-यज्ञ, क्लश यात्रा,फागों उत्सव व महाप्रसाद के साथ हुआ धार्मिक आयोजन*
*साण्डेराव-* संत-महात्माओं की पावन निश्रा में रामेश्वर महादेव मंदिर हरि ओम आश्रम रामनगर में पिछले 26 वर्षो से विराजित संत मनसुख हिरापुरीजी महाराज के जीवंत भंडारे कार्यक्रम में दूर-दूर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु गुरु भक्तों का हूजूम उमड़ पड़ा। इस धार्मिक आयोजन के तहत संत हिरापुरीजी महाराज की शिष्या श्रीमती सायरी देवी मेवाड़ा साण्डेराव की पुण्यतिथि पर उपस्थित सभी गुरु भक्तों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करने की कामना करते हैं पुष्पांजलि अर्पित की।
इस दौरान रामेश्वर महादेव मंदिर परिसर व हरि ओम आश्रम रामनगर कों दुल्हन की तरह रंग बिरंगी रोशनी व फरियो से सजाया गया।ब्रह्म मुहूर्त में यहां पहुंचने वाले सभी संत-महात्माओं की पावन निश्रा में गोड़वाड़ क्षेत्र के व्याख्यात आचार्य पंडित कांतिलाल ओझा के साथ उनकी टीम ने मुख्य यजमान रूघाराम,मदनसिंह,मांगीलाल, बालकिशन,नंदुभाई की मौजूदगी में विशेष पुजा अर्चना के साथ वैदिक मंत्रों उच्चारण के साथ शांति पाठ के बाद हवन-यज्ञ में पुर्णाआहुति दिलवाई।
*राधा-कृष्ण की झांकी के साथ मनाया फागोत्सव,पुष्प वर्षा के साथ किया स्वागत-* फागों उत्सव में झलकी राधा-कृष्ण की झांकी सजाई गई जिसमें उपस्थित गुरु भक्तों ने डिजे साउण्ड पर राधा-कृष्णा पर आधारित होली फाग के गीतों पर मनमोहक प्रस्तुतियां देकर उपस्थित श्रद्धालुओं का दिन जीत लिया, गुरु भक्तों ने 501 किलो गुलाल के पुष्पों से कृष्णा होली फाग महोत्सव में पुष्प वर्षा कर फागों उत्सव मनाया। इस दौरान दूर-दूर से पहुंचने वाली भजन मंडलियों की और से गुरु देव के वंदावने करते हुए एक से बढ़कर एक भजनों की प्रस्तुतियां देकर वातावरण को भक्तिमय बना दिया।सुबह 11 बजे बाल भोग के साथ ही स्कूलों के बाल-गोपालो से महाप्रसादी का आयोजन शुरू हुआ जो शाम को चार बजे तक चलता रह।
*संतों की अमृतवाणी श्रवण करने से मानव जीवन का होता है कल्याण- हिरापुरी* *साण्डेराव-* संत मनसुख हिरापुरीजी महाराज ने अपने प्रवचन के दौरान कहा कि संतों के अमृतवाणी श्रवण करने मात्र से ही मानव जीवन का कल्याण हो जाता है।उन्होंने कहा कि ये मानव शरीर मुश्किल से मिला है,इसी शरीर के अंदर मानव का सभी स्वरुप है हम जिस रुप में इस शरीर रुपी मन को ले जायेंगे,हमारा मन वहीं जायेगा।सत्संग में लोग संतों के वाणी को सिर्फ श्रवण तो जरूर करते हैं,परंतु घर पहुंचते ही सारी बातों को भुल जाते है।
संत मनसुख हिरापुरीजी महाराज ने कहा कि भक्ति में बहुत शक्ति होती है।भक्ति का तात्पर्य है-स्वयं के अंतस को ईश्वर के साथ जोड़ देना।जुड़ने की प्रवृत्ति ही भक्ति है।दुनियादारी के रिश्तों में जुट जाना भक्ति नहीं है। भक्ति का मतलब है पूर्ण समर्पण। सरल शब्दों में हम कहते हैं कि हमारी आत्मा परमात्मा की डोर से बंध गई। ईश्वर के प्रति निष्ठापूर्वक समर्पित होने वाला सच्चा साधक ही भक्त है। जिसके विचारों में शुचिता (पवित्रता) हो, जो अहंकार से दूर हो, जो किसी वर्ग-विशेष में न बंधा हो, जो सबके प्रति सम भाव वाला हो,सदा सेवा भाव मन में रखता हो,ऐसे व्यक्ति विशेष को हम भक्त का दर्जा दे सकते हैं। नर सेवा में नारायण सेवा की अनुभूति होने लगे, ऐसी अनुभूति ही सच्ची भक्ति कहलाती है।