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मेवाड़ा कलाल समाज का एक ऐसा सख्श जो जाने के बाद कई यादें पीछे छोड़ गए समाज को एक धागे में पिरोने की पहल की

प्रधान संपादक रूपचंद मेवाड़ा सुमेरपुर

रूपचंद मेवाड़ा सुमेरपुर 

प्रकृति का एक अनूठा नियम है कि उसके आगे किसी की भी नहीं चलती है वह समय पर वापस ले लेती है जो आया है उसको एक ना एक दिन जाना है लेकिन मानव जीवन में कुछ देखकर लगता है कि प्रकृति के इस नियम में भी कहीं संदेह है जिनकी राष्ट्र को समाज को परिवार को ज़रूरत महसूस होती है

उस समय उनकी ज़रूरत को पूरा नहीं होने देती यह भी प्रकृति का क्रूर मज़ाक है जिसके आगे सभी हार मान चुके हैं ऐसा ही हादसा प्रकृति ने श्री लादू राम जी को मेवाड़ा सादड़ी के घर 1 जुलाई 1963 को जन्म लिया परबत सिंह मेवाड़ा के परिवार के साथ 30-10-2008 को किया परबत सिंह जी शुरू से ही बात के धनी नेक निर्भीक जुझारू गरीबों के मसीहा हर एक बात ग़ौर से सुनते थेऔर उनका काम भी करते थे बुद्धि के परिपूर्ण व्यक्तित्व के धन थे लादू राम जी के सबसे बड़े पुत्र होने के कारण श्री मेवाड़ा ने अपने परिवार को एक जुटता की माला में पीरो के निभाई आप सामाजिक व राजनीतिक दोनों क्षेत्रों में शुरू से ही सक्रिय रहते हुए था अहम भूमिका अदा की है कि सामाजिक क्षेत्र में आपका अहम योगदान रहा हे आप गोडवाड़ समाज के महामंत्री पद पर रहते हुए आप ने सामूहिक विवाह जैसे कार्यक्रम करवाकर समाज का हित साधा तथा आप 2003 से मेवाड़ा कलाल समाजके युवा महासभा के प्रदेशाध्यक्ष पद पर रहते हुए संरक्षक प्रेमाराम मेवाड़ा व प्रदेश महामंत्री जय नारायण कडेशा के साथ मिलकर बहुत देवगड मदारिया मेवाड़ क्षैत्रों मैं व गोडवाड़ क्षेत्र फालना पाली मैं कई बड़े बड़े हे युवा सम्मेलन करवाकर युवा शक्ति को हे एक सूत्र में पीरो ने की कवायद कर युवाओं को मेवाड़ा समाज स्टेशन पाली के आप कार्यकारिणी सदस्य पद को सुशोभित कर रहे थे समाज के अलावा आप राजनीति क्षेत्र में 1973 मैं संघ प्रवेश 1974 में गटननायक 1975 मुख्य शिक्षक 1983नगर कार्यवाह और 1985 नगरमंत्री भाजपा 1987सक्रिय सदस्य भाजपा व 1987 नगर भाजपा मंडलाध्यक्ष सादड़ी1989राम शिलापूजन 1990 में कार सेवा 1992 मंडल अध्यक्ष देसूरी ग्रामीण1996 युवा मोर्चा जिला कार्य समिति 1998 जिला कार्यालय प्रभारी भाजपा पाली 2000 जिला परिषद सदस्य निर्विरोध निर्वाचित है 2003 प्रदेश कोषाध्यक्ष पंचायतराज प्रकोष्ठ 2005 जिला प्रशिक्षक पंचायतीराज विभाग तथा यदि प्रकृति के आगे मजबूर नहीं होते तो शायद आज तक बहूत बड़ी राजनीतिक हस्ती हमारे सामने होते बनते बाल्यकाल से ही मेवाड़ा के व्यक्तिगत रूप से सेवा के भाव कूट कूट कर भरे हुए है जो मेवाड़ा समाज ही नहीं हर समाजबंधुओं के लिए हर समय तत्पर रहते थे कभी भी शायद कोई व्यक्ति कार्य लेकर गया हो और मेवाड़ा ने मना किया हो ऐसा कभी नहीं हुआ क्योंकि उनका व्यक्तित्व बहूत ही मिलनसार सेवाभावी और सादगीपूर्ण था अभी आप माँ आशाक्षेत्रपाल ज्योति पत्रिका का संपादन कार्य भी बड़ी बेख़ूबी से ही कर रहे थे आप अपने पीछे माता सुखिया देवी व पिता लादू राम जी मेवाड़ा के अलावा पुत्र शरद मेवाड़ा 15 वर्ष व पुत्री प्रेरणा मेवाड़ा 17 वर्ष धर्म पत्नीश्रीमती पुष्पा मेवाड़ा वह भाई बहन को छोड़कर इस दुनिया से अलविदा कह गये बिछुड़ गएं बीच राहो मैं दिलों से नहीं जा पाओगे आँखों में आँसू है ग़म के आप उम्र भर याद आओगे 16वी पुण्यतिथी पर श्रद्धांजलि प्रणाम कोटि कोटि वन्दन शत शत नमन ओम शांति शांति शांति

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